एससी-एसटी एक्ट पर बड़ा फैसला

इस बात को कतई मंजूर नहीं किया जा सकता है कि पीड़ित पहले आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त कर ले और फिर आरोपी के साथ समझौता करके उससे भी अनुचित लाभ प्राप्त करने का प्रयास करे।

Created By : ashok on :02-03-2023 15:06:11 संजय मग्गू खबर सुनें


संजय मग्गू

ये भी पढ़ें

बिहार में राजनीतिक गठबंधनों में तेजी से बढ़ी सक्रियता


उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की एक ने एससी-एसटी एक्ट के मामलों को लेकर एक बड़ा फैसला दिया है। अदालत ने विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर पीड़ित किसी समझौते के आधार पर आरोपी पक्ष के विरुद्ध अपना केस वापस लेता है, तो उसे सरकार की ओर से मिली आर्थिक सहायता वापस करनी होगी। न्यायमूर्ति राहुल चतुवेर्दी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने साफ कहा कि ऐसे मामलों में पीड़ित को जो भी आर्थिक सहायता दी जाती है, वह करदाताओं की गाढ़ी कमाई है। इस बात को कतई मंजूर नहीं किया जा सकता है

कि पीड़ित पहले आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त कर ले और फिर आरोपी के साथ समझौता करके उससे भी अनुचित लाभ प्राप्त करने का प्रयास करे। ऐसी स्थिति में उसे हर हाल में सरकार की ओर से मिली आर्थिक सहायता वापस खजाने में जमा करनी होगी। अदालत ने कहा कि किसी को भी अपने विरुद्ध अत्याचार की शिकायत कर सरकार से पैसे की कमाई करने का अधिकार नहीं है। यह आदेश अदालत ने उन चार आपराधिक अपीलों की सुनवाई करते हुए जारी किया, जो एससी-एसटी एक्ट से संबंधित थीं। दरअसल, पिछले काफी समय से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि लोग एक सोची-समझी रणनीति के तहत किसी के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज करा देते हैं

ये भी पढ़ें

गर्मीयों के मौसम में क्यों होती है खुजली ,या फिर कहो एलर्जी

और फिर सरकारी आर्थिक सहायता पाने के बाद आरोपी पक्ष से समझौता करके मामला वापस ले लेते हैं। तथाकथित पीड़ित ऐसा करके दोहरा आर्थिक लाभ कमाते हैं, पहले सरकारी सहायता और फिर आरोपी से मुकदमा वापस लेने की एवज में उगाही। बीते साल भी एक अन्य अदालत ने ऐसी ही अपीलों की सुनवाई करते हुए पीड़ितों के इस रवैये की सख्त आलोचना की थी। वैसे भी, एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज कराए गए 90 प्रतिशत मामले जांच पूरी होते-होते दम तोड़ देते हैं, क्योंकि उनके पीछे जातीय उत्पीड़न नहीं, केवल आपसी मुंहाचाही ही वजह होती है, जो घटना के समय मौजूद गवाहों के बयान के बाद सामने आ जाती है।

Share On