बहुत बड़ा संबल होता बुजुर्गों का आशीर्वाद
यह हमारे देश में प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। अपने से बड़ों का चरणस्पर्श कर या हाथ जोड़कर अभिवादन करने पर आशीर्वाद मिलता है।
Created By : ashok on :05-11-2022 15:21:48 अशोक मिश्र खबर सुनेंबोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
दुनिया के विभिन्न देशों में किसी न किसी रूप में आशीर्वाद की परंपरा मौजूद है। हर सभ्यता में मिलने पर अभिवादन और बड़ों से आशीर्वाद का चलन रहा है। व्यक्ति अपने हम उम्र व्यक्ति से मिलने पर अभिवादन करता है, अपने से बड़े से आशीर्वाद ग्रहण करता है और छोटों को आशीर्वाद देता है। यह हमारे देश में प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। अपने से बड़ों का चरणस्पर्श कर या हाथ जोड़कर अभिवादन करने पर आशीर्वाद मिलता है।
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अक्सर बुजुर्ग अपने से छोटे को आशीर्वाद देते हुए कहते हैं कि खुश रहो, चिरंजीवी भव। उनके ऐसा कहने से व्यक्ति चिरंजीवी नहीं हो जाता है, लेकिन यह आशीर्वाद व्यक्ति के मनोबल को बढ़ाने का काम करता है। दिल को सुकून मिलता है, जब कोई हृदय से आशीर्वाद देता है। यही आशीर्वाद मनोवैज्ञानिक रूप से सहारा देता है। कई बार ऐसा भी देखने में आया है, जब व्यक्ति किसी हादसे का शिकार होने के बाद मौत के मुंह से निकलकर सकुशल लौट आता है, तो उसके मुंह से बरबस ही निकल जाता है कि उसे उसके बुजुर्गों के आशीर्वाद ने बचा लिया। कठिन समय में लोगों से मिला हुआ आशीर्वाद एक संबल का काम करता है।
यही संबल हमें परिस्थितियों से लड़ने की ताकत देता है। वहीं अगर किसी के साथ कोई बुरा व्यवहार करते हैं, तो वह हमें कोसता है। वैसे तो किसी के कोसने से जीवन में लाभ हानि या आयु घटने-बढ़ने पर कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन मनोवैज्ञानिक रूप से किसी को भी अच्छा नहीं लगता है। यही वजह है कि हमें अगर हासिल ही करना है, तो आशीर्वाद हासिल करें। जब कोई आशीर्वाद देता है, तो जिसको आशीर्वाद दिया जा रहा है, उसको अच्छा लगता है।