भारत के पक्ष में नहीं दिखती हैं ब्रिटेन की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन!
अभी कुछ महीने पहले ही ब्रिटेन में हुए चुनाव के दौरान भारत की रुचि इस बात को लेकर थी कि वहां जो नई सरकार बनेगी, वह भारत के लिए कितनी मुफीद होगी।
Created By : ashok on :07-10-2022 15:03:58 संजय मग्गू खबर सुनेंकहीं बीच में ही तो अटक नहीं जाएगा भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता?
संजय मग्गू
अभी कुछ महीने पहले ही ब्रिटेन में हुए चुनाव के दौरान भारत की रुचि इस बात को लेकर थी कि वहां जो नई सरकार बनेगी, वह भारत के लिए कितनी मुफीद होगी। बोरिस जॉनसन के बाद जब लिज ट्रस ब्रिटेन की प्रधानमंत्री और भारतीय मूल की सुएला ब्रेवरमैन गृहमंत्री बनीं, तो इस बात की उम्मीद जगी कि भारत और इंग्लैंड के बीच बोरिस जॉनसन के कार्यकाल के दौरान मुक्त व्यापार समझौते में कार्रवाई तेजी से आगे बढ़ेगी और दीपावली तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसका कारण यह भी था कि जिस समय यह समझौता हुआ था, वर्तमान प्रधानमंत्री लिज ट्रस विदेश मंत्री और अंतर्राष्ट्रीय कारोबार मामलों की मंत्री थीं। वैसे तो इस समझौते को लेकर ब्रितानी प्रधानमंत्री लिज ट्रस के नजरिये में फर्क नहीं आया है, लेकिन ब्रिटेन की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन का रुख भारत के पक्ष में नहीं है। उनका कहना है कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर आने से पहले जो समस्याएं थीं, उनमें कोई बदलाव नहीं आया है।
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ब्रिटेन की आबादी में जितने लोग दूसरे देशों के लोग शामिल हैं, उनमें सबसे ज्यादा भारतीय हैं। ब्रिटेन में वीजा समाप्त होने के बाद सबसे ज्यादा भारतीय प्रवासी ही रहते हैं। ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक साल 2020 में 20,706 भारतीय ब्रिटेन में अपने वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी रह रहे थे। ऐसे में एक आशंका यह भी पैदा हो रही है कि कहीं ब्रिटेन की गृहमंत्री ब्रेवरमैन भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले मुक्त व्यापार समझौते में अडंगा तो नहीं लगा देंगी? हालांकि जल्दी से जल्दी मुक्त व्यापार समझौते को अंजाम तक पहुंचाना, दोनों देशों की मजबूरी भी है और जरूरत भी। इसका कारण यह है कि इस समझौते से भारत के लिए होने वाला ब्रिटेन का निर्यात लगभग दोगुना हो जाएगा और 2035 तक दोनों देशों के बीच सालाना कारोबार 28 अरब पाउंड और बढ़ जाएगा। साल 2019 में दोनों देशों के बीच 23 अरब पाउंड का कारोबार हुआ था। ब्रिटेन भारत से होने वाले मुक्त व्यापार समझौते को अपना निर्यात बढ़ाने के एक अवसर के रूप में देखता है। ब्रिटेन चाहता है कि भारत ब्रिटेन से व्हिस्की जैसे उत्पादों की खरीद को बढ़ाए।
ब्रिटेन को उम्मीद है कि अगर समझौता होता है तो भारत ब्रिटेन की ग्रीन टेक्नोलॉजी और ब्रितानी सेवाओं का बड़ा खरीदार बनेगा। वहीं भारत चाहता है कि ब्रिटेन जाने वाले भारतीयों को रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले। उनके वीजा नियमों में लचीलापन रहे, ताकि वीजा अवधि समाप्त होने पर भी उन्हें डिपोर्ट न किया जा सके। ब्रिटेन में रहने वाले भारतीयों से देश को अच्छी खासी विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। यही वजह है कि भारत ब्रिटेन के साथ-साथ कई देशों से मुक्त व्यापार समझौते कर रहा है। भारत वैश्विक बाजार में अपनी पहुंच और उत्पादों को खपाने की गरज से यह सब कुछ कर रहा है। इसी साल भारत ने संयुक्त अरब अमीरात से मुक्त व्यापार समझौता किया है। आस्ट्रेलिया के साथ भी एक महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता हो चुका है। यही नहीं, यदि ब्रिटेन के साथ दीपावली तक समझौता हो जाता है, तो भारत का अगला कदम यूरोपीय संघ के साथ समझौता करने का होगा। भारत के उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने तो यूरोपीय संघ से बातचीत भी शुरू कर दी है। लेकिन ब्रिटेन की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन की चिंता ने भारत को ठिठकने पर मजबूर कर दिया है। हालांकि यह भी सही है कि ब्रेवरमैन भारतीय विद्यार्थियों और कारोबारियों को वीजा नियमों में छूट देने के पक्ष में हैं।