ई-टेंडरिंग को लेकर अनुचित है टकराव

धरना-प्रदर्शन के बाद अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलने की जिद पर अड़े सरपंचों पर पंचकूला में पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें 10 सरपंच जख्मी हो गए।

Created By : ashok on :03-03-2023 15:26:15 संजय मग्गू खबर सुनें

ई-टेंडरिंग को लेकर अनुचित है टकराव
संजय मग्गू
हरियाणा में ई-टेंडरिंग के मुद्दे पर सरपंचों और प्रदेश सरकार के बीच जारी तनातनी परस्पर संघर्ष में तब्दील होती जा रही है, जिसे किसी भी नजरिये से उचित नहीं कहा जा सकता है। पिछले एक पखवाड़े से ज्यादा समय से दोनों पक्षों के बीच कई बार उच्च स्तरीय बातचीत हो चुकी है। लेकिन, मामले का कोई सम्मान जनक, सर्वमान्य हल अब तक नहीं निकल सका।

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धरना-प्रदर्शन के बाद अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलने की जिद पर अड़े सरपंचों पर पंचकूला में पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें 10 सरपंच जख्मी हो गए। पुलिस द्वारा लगाए गए बैरीकैड्स तोड़कर आगे बढ़ रहे सरपंचों पर पहले वाटर कैनन से पानी की बौछार की गई और फिर न हटने पर उनके ऊपर लाठियां भांजी गईं। इसके बाद जाकर मुख्यमंत्री के ओएसडी भूपेश्वर दयाल सरपंचों से बातचीत के लिए आगे आए। लेकिन, उनसे बातचीत करने से सरपंचों ने इंकार कर दिया। सवाल है कि आखिर यह मामला तूल क्यों पकड़ रहा है? दोनों पक्ष अपनी जिद पर क्यों अड़े हैं?

सरकार की ओर से संबंधित विभाग के मंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि दो लाख रुपये से ऊपर के विकास कार्य ई-टेंडरिंग के जरिये कराए जाएंगे। जबकि सरपंच इस बात पर अड़े हैं कि पहले उन्हें 20 लाख रुपये तक के विकास कार्य कराने का अधिकार था,

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जो अब क्यों नहीं? सरपंचों ने इस मुद्दे को अपनी नाक का सवाल बना लिया है। वहीं सरकार अधिक लागत वाले विकास कार्यों में खर्च की पारदर्शिता को लेकर दृढ़ संकल्पित है। अपनी-अपनी जगह दोनों पक्ष सही हैं, लेकिन मामले के निदान के लिए जरूरी है कि दोनों अपनी जिद से एक-दो कदम पीछे हटें। क्योंकि, दोनों का उद्देश्य जन कल्याण है। ऐसे में परस्पर टकराव उचित नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह सरपंचों का मान रखते हुए विकास कार्यों के लिए अधिकतम दो लाख रुपये की सीमा को बढ़ाए, क्योंकि वे भी जनता द्वारा सीधे चुने जाने के बाद प्रतिनिधि बने हैं। और, सरपंचों को भी अपनी जिद छोड़कर सरकार का साथ देना चाहिए, क्योंकि लोक कल्याण का मकसद असल मायने में तभी पूरा हो सकेगा।

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