सुख-चैन से बैठने नहीं देता लोभ

उस वृद्धा ने एक थाल में सोना-चांदी रखा और उसे कपड़े से ढककर सिकंदर के पास ले आई और कहा, लो खाओ। सिकंदर ने कहा, सोना, चांदी कोई कैसे खा सकता है।

Created By : ashok on :03-11-2022 14:55:36 अशोक मिश्र खबर सुनें

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

लोभ यदि किसी व्यक्ति के मन में बैठ गया, तो समझो, उसका सुख-चैन नष्ट हो गया। लोभ के वशीभूत होकर व्यक्ति हमेशा दूसरों के धन, संपत्ति को हथियाने में ही लगा रहता है। यदि हमने इतिहास में पढ़ा ही होगा कि कुछ राजाओं को दूसरों का राज्य हड़पने का लोभ पैदा हुआ और उन्होंने आधी दुनिया को अपने कदमों के नीचे रौंद डाला। एक राजा का दूसरे राजाओं पर हमले हमेशा राज्य विस्तार के लोभ में ही हुए हैं।

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लालच के चलते ही कुछ राजाओं और लुटेरी जातियों ने दुनिया के कई देशों को नेस्तनाबूत करके रख दिया। उन्होंने यह कभी सोचने की जरूरत ही नहीं समझी कि उनके कृत्य से कितने लोगों को मौत के मुंह में समाना पड़ा। ऐसा ही एक शासक था सिकंदर। उसके मन में दुनिया को जीतने का लोभ घर कर गया, तो उसने आधी दुनिया को रक्तरंजित कर दिया। उसके मन में सोना, चांदी, जवाहरात इकट्ठी करने और राज्यों को जीतने की इतनी हवस पैदा हो गई थी कि वह यह भूल गया कि उसके चलते लाखों लोग मारे जा चुके हैं। कहते हैं कि एक दिन वह किसी राज्य पर हमला करने गया था।

इसी बीच उसे भूख लगी, तो वह एक गांव में एक वृद्घा के पास गया और खाने को कुछ मांगा। उस वृद्धा ने एक थाल में सोना-चांदी रखा और उसे कपड़े से ढककर सिकंदर के पास ले आई और कहा, लो खाओ। सिकंदर ने कहा, सोना, चांदी कोई कैसे खा सकता है। तब उस वृद्धा ने कहा, जब खाना तुम्हें दो रोटी ही है, तो फिर इतनी मार-काट क्यों मचा रहे हो। इन्हीं सोने-चांदी की लालच में तुम इतना रक्तपात कर रहे हो। यह सुनकर सिकंदर लज्जित हो गया और वह उस देश को जीते बिना ही आगे बढ़ गया। कहते हैं कि इस घटना के बाद उसका उत्साह फीका हो गया था।

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