करोड़ों के घाटे में हरियाणा रोडवेज

डिपो से हजारों लीटर डीजल चोरी-छिपे बेच दिया जाता है। कलपुर्जों की घटिया खरीद के जरिये भी घपले को अंजाम दिया जाता है। चालक-परिचालक मुख्य स्टेशनों के बीच में पड़ने वाली छोटी-छोटी जगहों पर उतरने वाले यात्रियों के टिकट नहीं बनाते हैं।

Created By : ashok on :28-02-2023 15:14:28 संजय मग्गू खबर सुनें


संजय मग्गू


हरियाणा राज्य परिवहन निगम को तकरीबन डेढ़ अरब यानी 150 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जांच में तथ्य यह सामने आया है कि सवारियां तो बराबर चल रही हैं, बसें खाली नहीं दौड़तीं। लेकिन, सवारियों की संख्या के मुताबिक टिकटों की बिक्री नहीं हो रही है। इसलिए प्रदेश सरकार ने फैसला किया है

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कि टिकट बिक्री में हो रहे घपले को रोकने के लिए रेवेन्यू लीकेज डिटेक्शन सिस्टम (आरएलडीएस) लागू किया जाएगा। इसके तहत हरियाणा सरकार के स्वामित्व वाली बसों में सेंसर आधारित प्रणाली का इस्तेमाल होगा, जिससे चढ़ने और उतरने वाले यात्रियों की गिनती की जा सके। फिर उसी आधार पर टिकटों की बिक्री का हिसाब-किताब रखा जाएगा। इससे एक फायदा यह होगा कि रोडवेज को उसके घाटे की असली वजह पता चल जाएगी। मालूम हो कि हरियाणा रोडवेज ने अभी तक सिर्फ छह जिलों में ई-टिकटिंग की व्यवस्था लागू कर रखी है।

प्रदेश सरकार शीघ्र ही शेष सोलह जिलों में ई-टिकटिंग की व्यवस्था लागू करने जा रही है, ताकि मैन्युअल टिकटों का इस्तेमाल कम से कम हो या फिर उनकी जरूरत न पड़े। दरअसल, किसी भी राज्य की सरकारी परिवहन सेवा को सिर्फ टिकट बिक्री में हेराफेरी के चलते घाटा नहीं होता। बिना बुकिंग के माल ढोने से भी राजस्व का नुकसान कर्मियों द्वारा पहुंचाया जाता है। और, इसमें सिर्फ बस के चालक- परिचालक ही शामिल नहीं होते। विभागीय अधिकारियों एवं स्टेशन इंचार्ज को बखूबी इसकी जानकारी रहती है।

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रोडवेज में बसों के रखरखाव यानी मेंटेनेंस के मद में भी जमकर हेराफेरी होती है। डिपो से हजारों लीटर डीजल चोरी-छिपे बेच दिया जाता है। कलपुर्जों की घटिया खरीद के जरिये भी घपले को अंजाम दिया जाता है। चालक-परिचालक मुख्य स्टेशनों के बीच में पड़ने वाली छोटी-छोटी जगहों पर उतरने वाले यात्रियों के टिकट नहीं बनाते हैं। वे बीच रास्ते में व्यापारियों का माल बिना बुकिंग लाद लेते हैं। लेकिन, इन कामों से हासिल धनराशि सिर्फ चालक-परिचालक की जेब में नहीं जाती। रूट में जगह-जगह जिला स्तरीय अधिकारी अपनी टीम लेकर खड़े रहते हैं। वे चालकों-परिचालकों से अपने हिस्से की उगाही करते हैं। इसलिए रोडवेज को घाटे से उबारने और फायदे की स्थिति में लाने के लिए प्रदेश सरकार को कई बिंदुओं पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

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