लिखता हूं पत्र खून से स्याही न समझना
जो शहीदों की तस्वीर बनाने में इंसानी खून का उपयोग करती है। शहीद स्मृति चेतना समिति अपने सदस्यों द्वारा दान में दिए गए खून से देशभक्तों, क्रांतिकारियों और शहीदों की तस्वीर बनाती है।
Created By : ashok on :11-01-2023 16:30:11 संजय मग्गू खबर सुनें
संजय मग्गू
आपने टीवी चैनलों और समाचार पत्रों में अक्सर पढ़ा होगा कि फलां विभाग के कर्मचारियों, अमुक इलाके के लोगों ने अपनी समस्याओं की ओर सरकार या विभाग का ध्यान खींचने के लिए खून से चिट्ठी लिखी और भेज दी। कई बार ऐसी भी घटनाएं सामने आई हैं जिसमें अपनी समस्याओं से परेशान किसान, दुकानदार, सामान्य नागरिकों ने सुसाइड नोट तक खून से लिखा और आत्म हत्या कर ली।
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कई बार पूरे परिवार ने ऐसा किया। तीन-चार दशक पहले तक जब मोबाइल, फेसबुक, ट्वीटर या ह्वाट्सएप नहीं हुआ करते थे, तो अपने प्रेम का इजहार करने का माध्यम खत हुआ करते थे। उस दौर के प्रेमी अपनी प्रेमिका को अपने खून में कलम डुबोकर प्रेम पत्र लिखते थे। उस पत्र में कुछ इस तरह की पंक्तियां जरूर होती थीं, लिखता हूं पत्र खून से स्याही न समझना, मरता हूं तुम्हारी जान पे जिन्दा न समझना।
लेकिन युग बदला, इजहारे मोहब्बत का तरीका बदला और लोग अपने प्रेमी-प्रेमिका को रिझाने के लिए खून से तस्वीरें बनवाकर लेने-देने लगे। खून से तस्वीरें बनवाने वालों ने इसे नाम दिया ब्लड आर्ट। अभी हाल में तमिलनाडु सरकार ने खून से पेंटिंग बनाने और बनवाने पर रोक लगा दी है। तमिलनाडु में ब्लड आर्ट का चलन अन्य राज्यों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही हो गया था। जगह-जगह ब्लड आर्ट के नाम पर दुकानें खुलने लगी थीं। लड़के-लड़कियां ब्लड आर्ट को लेकर दीवाने हुए जा रहे थे। इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए तमिलनाडु सरकार को यह कड़ा फैसला लेना पड़ा। यह भी एक अजीब तरह का शौक है। अरे! आपको अपने प्रेमी या प्रेमिका से इतना ही प्यार है, तो अस्पतालों में जाकर ब्लड डोनेट कर दो। इससे कम से कम किसी मरते हुए मरीज की जान तो बचाई जा सकती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी कभी नारा दिया था, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। तो क्या नेता जी सुभाष चंद्र बोस सीरिंज और खाली बोतल लेकर बैठ गए थे कि आओ, खून देते जाओ और आजादी लेते जाओ।
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नहीं, यह एक प्रतीकात्मक नारा था माने कि यदि तुम अपनी मातृभूमि की आजादी के लिए मरने को तैयार हो, तो तुम्हें निश्चित रूप से आजादी मिल जाएगी। लेकिन आज रक्त का ऐसा दुरुपयोग होगा किसी ने भी नहीं सोचा था। दिल्ली में तो एक ऐसी संस्था है जो शहीदों की तस्वीर बनाने में इंसानी खून का उपयोग करती है। शहीद स्मृति चेतना समिति अपने सदस्यों द्वारा दान में दिए गए खून से देशभक्तों, क्रांतिकारियों और शहीदों की तस्वीर बनाती है। यह संस्था एक स्कूल के रिटायर्ड प्रिंसिपल रविचंद्र गुप्ता ने शुरू की थी। संस्था अब तक 250 से ज्यादा रक्त चित्र बना चुकी है। इन रक्त चित्रों की कई राज्यों में प्रदर्शनियां भी लग चुकी हैं और कई संग्रहालयों में ये चित्र वहां की शोभा भी बढ़ा रहे हैं। तमिलनाडु या दूसरे राज्यों में बन रहे रक्त चित्र के लिए खून इकट्ठा करने की जो प्रक्रिया है, वह बिल्कुल गलत है। इन सेंटरों पर एक ही निडिल का उपयोग कई लोगों का रक्त निकालने के लिए होता है जिससे रक्त में कई असाध्य रोगों के संक्रमण की आशंका पैदा हो रही है। इन पर रोक लगाना ही उचित है।