देश की जिम्मेदारी है शहीदों का सम्मान

हमारे देश की सीमाएं अगर सुरक्षित हैं, तो ऐसे ही वीर सैनिकों की बदौलत हैं, जो सर्दी-गर्मी-बरसात की चिंता किए बिना सीमाओं पर चौबीसों घंटे डटे रहते हैं।

Created By : ashok on :25-01-2023 15:26:42 संजय मग्गू खबर सुनें

देश की जिम्मेदारी है शहीदों का सम्मान
संजय मग्गू
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आजादी की लड़ाई के अगुवा नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के विभिन्न दीपों का नामकरण देश के अमर शहीद परम वीर चक्र विजेताओं के नाम पर करके केंद्र सरकार ने सराहनीय उदाहरण पेश किया है।

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इससे न सिर्फ उन शहीदों के परिवार जनों का यह भरोसा मजबूत होगा कि पूरा देश उनके साथ है, बल्कि हमारी नई पीढ़ी को भी प्रेरणा मिलेगी कि समय पड़ने पर देश के लिए मरना-मिटना हर नागरिक का धर्म है। अब्दुल हमीद, विक्रम बत्रा एवं मेजर शैतान सिंह समेत 21 परम वीर चक्र विजेताओं को यह सम्मान देने के लिए आयोजित कार्यक्रम का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल्कुल सही कहा कि पहले इन द्वीपों पर गुलामी की छाप थी।

इनका नामकरण परम वीर चक्र विजेताओं के नाम पर करके न सिर्फ देशवासियों को उनकी कुर्बानी याद दिलाने का काम हुआ, बल्कि अब उक्त स्थल लोगों को प्रेरित भी करेंगे। वास्तव में, देश पर अपनी जान न्योछावर करने वाले वीरों की यादें ताजा रखना और समय-समय पर उनके योगदान को नमन करना हम सब भारतीयों की जिम्मेदारी है। जो लोग बिना यह चिंता किए कि उनके पीछे परिवार पर क्या बीतेगी, युद्ध क्षेत्र के लिए प्रस्थान कर जाते हैं।

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नई और पुरानी पीढ़ी का संघर्ष

उनके लिए सोचना और उन्हें याद रखना हमारा कर्तव्य बनता है। हमारे देश की सीमाएं अगर सुरक्षित हैं, तो ऐसे ही वीर सैनिकों की बदौलत हैं, जो सर्दी-गर्मी-बरसात की चिंता किए बिना सीमाओं पर चौबीसों घंटे डटे रहते हैं। वे सब हमारे ही घर-आंगन और आस-पड़ोस से निकले भाई-बांधव हैं। अगर हमारे सैनिक सीमा पर चौकसी न बरतें, तो हम शायद ही सुरक्षित रह पाएं। नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती जैसे मौके पर अपने रणबांकुरों को याद करते हुए उनके सम्मान में द्वीपों का नामकरण किया जाना एक सराहनीय कदम है। बिना किसी पूर्वाग्रह के इसका स्वागत होना चाहिए। और, सरकार के इस कदम को एक परंपरा बनाए जाने की जरूरत है, ताकि हमारी मौजूदा नई पीढ़ी के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को भी याद रहे कि वे अपने देश का जो वर्तमान देख रहे हैं, उसके पीछे कुर्बानियों की कितनी लंबी कतार है।

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