जहरीली शराब पीने से बिहार में तीस से ज्यादा लोगों की मौत
नीतीश कुमार ये मानने को तैयार ही नहीं है कि बिहार में शराब बंदी फेल हो गई है। बंद का सिर्फ छलावा है।
Created By : ashok on :17-12-2022 16:55:14 स्मिता सिंह खबर सुनेंबिहार एक बार फिर जहरीली शराब के कारण हुई मौत से चर्चा में है। कच्ची और जहरीली शराब पीने से तीस से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, ये मामला बिहार विधानसभा में उछला।
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बिहार के सारण जिले में जहरीली शराब पीने से तीस से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। जबकि बीस से ज्यादा लोगों को इलाज राज्य के अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है। सोचने की बात ये है कि इनमें से कुछ लोगों की आंखों की रोशनी चली गई, कुछ लोगों के पेट में सूजन आ गई।
अब आप सोच रहें होंगे की ये पहली बार तो हुआ नहीं है कि शराब से मौत का आंकड़ा ऐसा हुआ हो, मरने वालों का आंकड़ा तो इससे भी ज्यादा कई बार पहुंचा है, लेकिन जब आपके राज्य में शराब पर बैन है तो ये शराब आई कहां से और आ भी गई तो उसमें उेसा क्या मिला हुआ था कि लोगों को मौत के मुंह में पहुंचा दिया और जो मरे नहीं वो लाचार हो गए है किसी की आंखों की रोशनी चली गई है तो किसी के आंतों में ही गड़बड़ हो गई है।
अब चाहे सुशासन बाबू इन सब का ठिकरा बीजेपी पर ही क्यों ना फोड़े लेकिन मामला तो खुद उनके ही घर का है। क्योंकि सुशासन बाबू नीतीश बाबू बार-बार हूंकार भर कर कहते है कि हमारे राज्य में तो शराब की एक बूंद भी नहीं है, वहां मौत का ये खेल वो भी उसी शराब की वजह से। तो भई सवाल उठना तो लाजमी है कि जो शराब बंद है
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वो शराब आपके घर तक डिब्बों में पैकेट्स में कैसे पहुंच जाती है। नीतीश कुमार इन सबके बावजूद ये कहते दिखाई पड़ते है कि पीओगे तो मरोगे ही, अरे महोदय पीने वाला अगर मर रहा है तो पीलाने वाले का आप ही कुछ कर दीजीए उन लोगों पर ही नकेल कस दीजीए उन लोगों को ही सलाखों के पीछे डाल दीजिए जो ये शराब को बेच रहा है वो भी प्रतिबंध के बा वजूद।
हालांकि शराब बंदी कानून जब से बिहार में लागू होने के बाद से करीब छ: लाख से ज्यादा लोग सलाखों के पीछे गए हैं। उसके बाद भी हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है,
जब उनसे विधानसभा में विपक्ष सवाल पूछ रहा है तब वो बोल रहें है तो नीतीश कुमार ये मानने को तैयार ही नहीं है कि बिहार में शराब बंदी फेल हो गई है। बंद का सिर्फ छलावा है।
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वे संवेदहीन बयान दे रहें है लेकिन शराब माफिया पर शिकंजा कसने का नहीं सोच रहें है, कब तक वे दूसरों पर पल्ला झाड़ते रहेंगें। तो नीतीश बाबू अब थोड़ी चिंता कर लीजिए अपने लोगों कीजरा इन आंकड़ो पर नजर डाल लीजिए साल 2022 की शुरूआत से लेकर अब तक छपरा में हुई घटनाओं में पचास लोग शराब पीने से अपनी जान गंचा सुके है। जनवरी 2022 में मकेर और अमनौरर में जहरीली शराब से एक दर्जन से ज्यादा लोग मौत के मुंह में चले गए थे।
साल 2022 अगस्त में छपरा के पानापुर और मकेर-भेल्दी में जहरीली शराब से आठ लोगों के मारे जाने की खबर थी। बिहार की जनता के मुताबिक ऐसी घटनाओं के बाद प्रशासन कुछ दिनों के लिए अपनी सुस्ती उड़ाता है गिरफ्तारीयां भी होती है,कुछ दिनों की लीपापोती के बाद वहीं ढाक के तीन पांत। फिर से सस्ते केमिकल और नौसादर यूरिया मिलाकर जहरीली शराब बनाने का काम शुरू हो जाता है। और फिर से प्रशासन और शराब माफिया की मिलीभगत से ये गोरखधंधा धडल्ले से चलता है।
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अब एक बार एनसीआरबी के आंकड़ो पर नजर डालते है साल 2016 में जहरीली शराब से पूरे भारत में 1054 लोगों की मौत हुई थी। साल 2017 में 1510, साल 2018 में 1365, साल 2019 में 1296 और साल 2020 में 947 लोगों की मौत हूुई थी। पूरे भारत में बिहार के अलावा मध्य प्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या ज्यादा है।