जगदम्बिका पाल उत्तर प्रदेश के एक दिन के सीएम रहे थे, संजय मग्गू की जुबां से जानें इनका सियासी सफर
यूपी के राजनीतिक किस्सों के विशेष कार्यक्रम में संजय मग्गू ने आज यूपी के एक दिन के सीएम रहे जगदम्बिका पाल पर चर्चा की। इस दौरान उत्तर प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों कल्याण सिंह और मायावती से भी जगदम्बिका पाल के संबंधों पर चर्चा हुई। साथ ही जगदम्बिका पाल का सियासी सफर बताया गया।
Created By : Shiv Kumar on :10-01-2022 20:53:16 संजय मग्गू खबर सुनेंनमस्कार दोस्तों
देश रोजाना पर यूपी के राजनीतिक किस्सों के विशेष कार्यक्रम में मैं संजय मग्गू आज फिर एक नए किस्से के साथ आपके समक्ष मौजूद हूँ और चर्चा करूँगा एक दिन के मुख्यमंत्री की। दोस्तों सियासत में उन तरह के लोगों की खास चर्चा होती है, जिन्होंने की कोई रिकॉर्ड बनाया हो। जी हां आज मैं आपसे बात कर रहा हूं यूपी के एक दिन के सीएम जगदम्बिका पाल की जोकि सिर्फ एक दिन के लिए ही यूपी की राजगद्दी पर बैठे, यानी कि मुख्यमंत्री बने। वैसे राजनीती में ऐसा यह पहला ही वाक्य है जिसमें कि कोई एक दिन के लिए सीएम बना हो। हां हिंदी फिल्म नायक को हमेशा जरूर याद रखा जाएगा जिसमें कि फिल्म में महाराष्ट्र के सीएम का किरदार निभा रहे अमरीश पुरी ने पत्रकार के किरदार में अपना साक्षात्कार करने वाले अनिल कपूर को एक दिन का सीएम बना दिया था।
आगे चलने से पहले आपको बताते हैं की जगदम्बिका पाल हैं कौन व उनका राजनीतिक सफर कैसा रहा है। 21 अक्टूबर 1950 को भरवलिया उत्तर प्रदेश में जन्मे करीब 71 वर्षीय जगदम्बिका पाल वर्तमान में बीजेपी से लोकसभा सदस्य हैं। ये 1983 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य थे तथा 1988 में उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री बने।
उन्होंने 1993 में उत्तर प्रदेश के बस्ती निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की। जगदम्बिका पाल ने अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार भाजपा के विजई सेन को 5345 मतों के बड़े अन्तर से हराया। 1996 में विधानसभा चुनाव में 3165 मतों के अन्तर से प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार बसपा के दयाराम चौधरी को हराकर फिर से जीत हासिल हुई। 22 फरवरी 1998 को वे यूपी के सीएम बने।
जगदम्बिका पाल 2002 में मायावती की सरकार में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यरत रहे।
इन्हें 2002 में ही 31% वोट के शेयर के साथ भाजपा के जितेंद्र कुमार को हराकर बस्ती निर्वाचन क्षेत्र में तीसरी बार भी कार्यकाल के लिए चयनित किया गया।
ये 2007 में बस्ती के विधानसभा चुनाव में अपने पुराने प्रतिद्वंदी भाजपा के जितेंदर सिंह से 9780 वोटों से चुनाव हार गए। 2009 में कांग्रेस की टिकट पर यूपी के डुमरियागंज से सांसद बने। मोदी लहर में जगदम्बिका पाल ने कांग्रेस छोड़ दी तथा बीजेपी में शामिल हो गए। अब दो बार से यानि 2014 व 2019 में बीजेपी की टिकट पर डुमरियागंज से सांसद हैं।
अब बताते हैं जगदम्बिका पाल के सीएम बनने की कहानी। वह दिन था 21 फरवरी 1998 का जब की यूपी में तब नया इतिहास लिखा गया था। केंद्र में इंद्र कुमार गुजराल के नेतृत्व में तीसरे मोर्चे की सरकार थी, जिसे बहार से कांग्रेस समर्थन दे रही थी। रोमेश भंडारी उन दिनों यूपी के राज्यपाल हुआ करते थे। वाकया कुछ यूं बना था कि जब मायावती जनता दल, किसान कामगार पार्टी, लोकत्रांतिक कांग्रेस, बसपा और अन्य दलों के नेताओं के साथ राजभवन पहुंचीं। लोकतंत्र के महापर्व में बीच मैं आपको एक ऐसा किस्सा भी बता रहा हूं कि जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह एक जनसभा कर रहे थे और उनकी सरकार गिर गई तथा कल्याण सिंह जी की ही सरकार के परिवहन मंत्री जगदंबिका पाल मुख्यमंत्री बन गए। हुआ यह था कि तब लोकतांत्रिक कांग्रेस के नेता जगदंबिका पाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन बैठे थे। लेकिन उनका कार्यकाल सिर्फ एक दिन का रहा। 21 फरवरी 1998 को यूपी में तब नया इतिहास लिखा गया जब मायावती जनता दल, किसान कामगार पार्टी, लोकत्रांतिक कांग्रेस, बसपा और अन्य दलों के नेताओं के साथ राजभवन पहुंचीं। उन्होंने राज्यपाल रोमेश भंडारी के कहा हम कल्याण सिंह सरकार के परिवहन मंत्री जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री के रुप में अपना समर्थन देते हैं।
कुर्सी पर खतरा भांप कर कल्याण सिंह भी राजभवन पहुंचे और बहुमत साबित करने का मौका मांगा। लेकिन राज्यपाल भंडारी ने 21 फरवरी की रात ही कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया गया। अधिसूचना जारी कर राजयपाल ने जगदंबिका पाल को नया मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया गया। नरेश अग्रवाल उप मुख्यमंत्री बने।
हाईकोर्ट के आदेश पर बहाल हुई कल्याण सरकार
अगले दिन अटल बिहारी वाजपेयी राज्यपाल रोमेश भंडारी के खिलाफ स्टेट गेस्ट हाउस में आमरण अनशन पर बैठ गए। इसी दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गयी। कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक करार करते हुए कल्याण सिंह की सरकार को दोबरा बहाल कर दिया।
दोस्तों यह वह दौर था जब कि चार दिन के लिए यूपी में एक साथ थे दो मुख्यमंत्री थे जगदम्बिका पाल व कल्याण सिंह। क्यूंकि जगदंबिका पाल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए। 24 फरवरी को फैसला आया 48 घंटे के अंदर कंपोजिट फ्लोर टेस्ट कराया जाए और नतीजे आने तक कल्याण सिंह और जगदंबिका पाल दोनों के साथ मुख्यमंत्री की तरह व्यवहार हो। हालांकि, दोनों को नीतिगत फैसला लेना का कोई अधिकार नहीं था। 26 फरवरी को दोनों ही मुख्यमंत्रियों ने अपना कंपोजिट फ्लोर टेस्ट यानि अपना अपना विश्वात मत पेश किया। कल्याण को 225 वोट और जगदंबिका पाल को 196 वोट मिले। कल्याण सिंह फिर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए।