सब कुछ तहस-नहस कर देता है अभिमान

अभिमानी व्यक्ति की यही सोच एक दिन उसके पतन और विनाश का कारण बनती है। अभिमानी व्यक्ति के दो सबसे बड़े उदाहरण हमारे धर्म ग्रंथों में पाए जाते हैं।

Created By : ashok on :07-11-2022 15:31:46 अशोक मिश्र खबर सुनें

अशोक मिश्र
अभिमान और स्वाभिमान में बहुत फर्क है। अभिमान व्यक्ति को पतन की ओर ले जाता है। व्यक्ति में स्वाभिमान तो होना चाहिए, लेकिन अभिमान नहीं होना चाहिए। जब व्यक्ति में अभिमान आ जाता है, तो वह अपने को सबसे ऊंचा समझने लगता है। वह सोचना है कि वह जो कुछ भी कर रहा है, वह सही है। भले ही वह समाज और देश के हित में न हो। अभिमानी व्यक्ति की यही सोच एक दिन उसके पतन और विनाश का कारण बनती है। अभिमानी व्यक्ति के दो सबसे बड़े उदाहरण हमारे धर्म ग्रंथों में पाए जाते हैं।

ये भी पढ़ें

भारत के मिसाइल परीक्षण में रोड़े अटका रहा चीन

पहला रावण और दूसरे कौरव। इन दोनों लोगों को अभिमान था कि वे ही विश्व विजयी हैं, वे जो कुछ भी करते हैं, वही सही है बाकी सब गलत है। रावण का अभिमान उसके पूरे कुल के विनाश का कारण बना। भाई ने ही विद्रोह कर दिया और विपक्ष में खड़े राम को रावण के सारे गुप्त भेद बता दिया। नतीजा क्या हुआ? पुत्र और प्रजा दोनों का विनाश हुआ। अंतत: रावण खुद भी मारा गया। यही हाल कौरवों का हुआ। पांच गांव लेकर पांडव समझौता करने को तैयार थे। श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया भी, लेकिन जब व्यक्ति के सिर पर अभिमान चढ़कर बोल रहा हो, तो सच्ची बातें भी कड़वी लगती हैं।

अभिमान से कौरवों ने कहा कि वह बिना युद्ध किए सुई की एक नोक बराबर जमीन देने को वे तैयार नहीं हैं। नतीजा यह हुआ कि कुरुक्षेत्र के मैदान में दोनों ओर की सेनाएं आ खड़ी हुईं। कुछ व्यक्तियों के अभिमान ने लाखों लोगों की बलि ले ली। विभिन्न राज्यों के वीर इस युद्ध में इस ओर से या उस ओर से मारे गए। नतीजा क्या निकला। शून्य। धरती जनविहीन हो गई। अपने अभिमान के चलते कौरव भी मारे गए। सारा राज्य तहस-नहस हो गया।

Share On