बिहार में राजनीतिक गठबंधनों में तेजी से बढ़ी सक्रियता
बिहार में ढंग से व्यवस्थापन किया जाए तो पूरे भारत का सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला राज्य बिहार बन सकता है। शाह ने सवाल किया कि अब नीतीश के राज में देश का सबसे अधिक दूध उत्पादन वाला राज्य कैसे बनेगा बिहार?
Created By : ashok on :02-03-2023 14:26:29 सोमा राजहंस खबर सुनें
सोमा राजहंस
बिहार के हालिया सियासी आयोजनों को देखें, तो यह कहने में जरा भी दिक्कत नहीं है कि राज्य में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए केंद्रीय सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी और राज्य की सत्ता में भागीदार राजद और जदयू पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुके हंै। कुछ दिन पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बिहार सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहे थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके राजद साथियों को खरी-खोटी सुना रहे थे। दूसरी ओर सीमांचल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सात दलों के नेताओं के साथ तीसरे मोर्चे की कवायद में लगे थे।
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सियासी गलियारों में चर्चा आम है कि नीतीश को साल 2024 में पीएम इन वेंटिंग का सपना दिख रहा है। उसी हिसाब से वो काम कर रहे हैं।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पटना में स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती के अवसर पर कहा कि यहीं से सम्राट चंद्रगुप्त और सम्राट समुद्र गुप्त ने अफगानिस्तान से लेकर लंका तक एकमुश्त भारत का साम्राज्य बनाया। उस मगध साम्राज्य की ऐतिहासिक राजधानी पाटलिपुत्र की भूमि से मैं आप सबको प्रणाम करता हूं।
आज सहजानंद सरस्वती का बिहार गर्त में जा रहा है। इसे गर्त से बाहर निकालने के लिए हमें संघर्ष करना है। उन्होंने कहा कि जेपी से लेकर आज तक बिहार के लोगों का पूरा जीवन कांग्रेस का विरोध करने में निकल गया, लेकिन आज नीतीश बाबू प्रधानमंत्री बनने के लालच में सोनिया गांधी के शरण में जाकर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि बिहार में डेयरी की बहुत संभावनाएं हैं। बिहार में भूमि है, पानी है और मेहनतकश किसान हैं। बिहार में ढंग से व्यवस्थापन किया जाए तो पूरे भारत का सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला राज्य बिहार बन सकता है।
शाह ने सवाल किया कि अब नीतीश के राज में देश का सबसे अधिक दूध उत्पादन वाला राज्य कैसे बनेगा बिहार? क्योंकि दूध उत्पादन के लिए पशु चाहिए और पशु को चारा चाहिए, लेकिन प्रदेश का मुख्यमंत्री चारा चोरी करने वाले लालू की गोद में जाकर बैठ गया है, तो किसानों का भला कैसे होगा? उन्होंने कहा कि मोदी जी के राज में एमएसपी पर धान और गेहूं खरीदने के लिए कृषि का बजट बढ़ाया गया, लेकिन बिहार में बजट जस का तस है। बिहार नीतीश बाबू के सत्ता मोह में जंगलराज बन चुका है। उन्होंने कहा कि 2014 में मनमोहन-सोनिया सरकार के दौरान कृषि का बजट 25 हजार करोड़ रुपया था, 2023 के बजट में मोदी सरकार ने कृषि का बजट बढ़ाकर 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपया कर दिया है।
यही बताता है कि देश के प्रधानमंत्री ने किसानों को केंद्र में रखा है। शाह ने साफ कहा कि जिनका जीवन कांग्रेस का विरोध करते हुए गया वो नीतीश बाबू पीएम बनने के लोभ में सोनिया की शरण में बैठे हैं। जिसने लालू की जातिवादी राजनीति और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए उस वक्त जनता पार्टी तोड़ी, वही आज पीएम बनने के मोह में लालू के गोद में बैठे हैं।
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शाह ने साफ तौर पर कहा कि नीतीश ने दूसरी बार धोखा दिया है लेकिन अब नीतीश जी हमें धोखा नहीं दे सकते क्योंकि अब हम नीतीश जी को एनडीए में लेंगे ही नहीं। नीतीश के लिए भाजपा के सारे दरवाजे अब बंद हैं। उन्हें कभी एनडीए में शामिल करने की भूल भाजपा नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि किसानों और मजदूरों के लिए स्वामी सहजानंद के जो विचार थे, उन्हें बस मोदी ही पूरा कर सकते हैं और कोई पूरा नहीं कर सकता है। आपको बता दें कि स्वामी सहजानंद सरस्वती संत होते हुए भी क्रांतिकारी थे और अनुशीलन समिति से उनका गहरा जुड़ाव रहा है। वे देश के क्रांतिकारियों की मदद भी करते रहे हैं। वहीं पूर्णिया के रंगभूमि मैदान से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा पर जमकर हमला किया। उन्होंने भाजपा को चेताया कि पूरा विपक्ष साथ है और 2024 के चुनाव में भाजपा को 100 सीटों पर सिमटा देंगे।
नीतीश ने कहा कि दिल्ली में दो नेता हैं, एक प्रधानमंत्री और दूसरे गृहमंत्री। इनको क्या अनुभव है? 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में सात दलों का मजबूत गठबंधन बना है और सभी 40 सीटों पर हम लोग जीतेंगे। हम लोग तो अब सिर्फ कांग्रेस का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें डिसिजन जल्दी लेना चाहिए। वहीं कुशवाहा के बाद अब भाजपा का निशाना जीतनराम मांझी हंै। मांझी को इधर-उधर नहीं जाना है। हम ही इन को आगे बढ़ा देंगे।
सभा को वर्चुअली संबोधित करते हुए राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कहा कि भाजपा कोई पार्टी थोड़े है, वो तो आरएसएस का मुखौटा है।
लालू ने कहा कि हम और नीतीश कुमार पूरी तरह एकजुटता के साथ हैं और बिहार में सात दलों का मजबूत गठबंधन हुआ है। रैली में तेजस्वी यादव, अखिलेश प्रसाद सिंह, दीपांकर भट्टाचार्य, जीतनराम मांझी समेत महागठबंधन के अन्य नेता शामिल थे। आठ साल में केंद्र से बिहार को मात्र 69 हजार करोड़ ही मिले। ये कहकर उन्होंने मैसेज दिया कि बिहार के विकास में भाजपा का कोई योगदान नहीं है। अगला चुनाव विकास और विशेष दर्जा के मुद्दे पर ही लड़ेंगे।
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जीतनराम मांझी को इधर-उधर नहीं जाना है, हम ही इन लोगों को आगे बढ़ा देंगे, यह कह उपेन्द्र कुशवाहा प्रकरण से सबक लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन के कुनबे को जोड़े रखने का संदेश भी दिया। लालू यादव ने यह कहकर कि भाजपा आरक्षण खत्म करना चाहती है, अपने पुराने मंडल इश्यू पर ही अगला चुनाव लड़ने का मैसेज दिया है। असलियत यह सब कुछ वोटरों को भी एकजुट रखने की कोशिश की है।
(यह लेखिकाके निजी विचार हैं।)