स्वतंत्र रहना सबका अधिकार

स्वामी विवेकानंद हमेशा लोगों को स्वाधीन रहने की प्रेरणा दिया करते थे। उनका मानना था कि जब तक हमारे देश के युवा स्वस्थ और बलशाली नहीं होंगे, तब तक वे अपने देश को स्वतंत्र नहीं करवा सकेंगे। एक बार की बात है। स्वामी विवेकानंद अमेरिका से दोबारा इंग्लैंड पहुंचे, तो कुछ लोगों ने उनके लंदन आने के मौके पर एक सभा रखी।

Created By : ashok on :06-01-2023 14:54:18 अशोक मिश्र खबर सुनें

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र
स्वामी विवेकानंद हमेशा लोगों को स्वाधीन रहने की प्रेरणा दिया करते थे। उनका मानना था कि जब तक हमारे देश के युवा स्वस्थ और बलशाली नहीं होंगे, तब तक वे अपने देश को स्वतंत्र नहीं करवा सकेंगे। एक बार की बात है। स्वामी विवेकानंद अमेरिका से दोबारा इंग्लैंड पहुंचे, तो कुछ लोगों ने उनके लंदन आने के मौके पर एक सभा रखी।

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उसमें स्वामी विवेकानंद को बड़े आदर के साथ बोलने के लिए आमंत्रित किया। स्वामी जी ने सभा में पहुंचकर भारत की सभ्यता और संस्कृति का वैज्ञानिक पक्ष रखा। उन्होंने लोगों को यह समझाने का प्रयास किया कि भारत में सभी लोग एक दूसरे के धर्म और जाति का बड़ा सम्मान करते हैं। जाति और धर्म के नाम पर भारत में कभी हिंसा नहीं होती है। सभी धर्मों के लोग भारत में मिल जुलकर रहते हैं। इस पर एक व्यक्ति ने स्वामी जी से प्रश्न किया कि आप बड़ी देर से भारत की सभ्यता और संस्कृति के साथ-साथ हिंदुओं की बड़ाई किए जा रहे हैं। भारत ने कभी कोई देश जीता है।

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इस पर स्वामी विवेकानंद ने सहज रूप से कहा कि भारत के लोग किसी देश या व्यक्ति को गुलाम बनाने में रुचि नहीं रखते हैं। वे स्वतंत्रता का सच्चा अर्थ समझते हैं। वे मानते हैं कि चाहे व्यक्ति हो या पशु-पक्षी, उनके स्वतंत्र रहने में जितना सुख मिलता है, उतना ही दुख उनके बंदी रहने में मिलता है। यही वजह है कि भारत ने कभी किसी भी देश पर हमला नहीं किया है। स्वामी विवेकानंद ने उस व्यक्ति से कहा कि तुम किसी पक्षी को पहले पिंजरे में कैद करो। कुछ दिनों बाद उसको आजाद करो, तुम्हें एक अनोखी सुखानुभूति होगी। वह पक्षी भी आजाद होने के बाद खुशी महसूस करेगा। स्वतंत्रता सबसे बड़ी नियामत है प्रत्येक जीवित प्राणी के लिए। हर जीवित प्राणी का स्वतंत्र रहना जन्मसिद्ध अधिकार है।

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