सनातन धर्म में चमत्कार को दूर से नमस्कार है

धीरेंद्र शास्त्री अच्छा कर रहे हैं या बुरा, इस पर मैं कुछ नहीं कहना चाहता हूं। हां, सनातन धर्म को लेकर जरूर कुछ कहना चाहता हूं। सनातन धर्म का मूलाधार षड्दर्शन है।

Created By : ashok on :25-01-2023 15:33:18 संजय मग्गू खबर सुनें


संजय मग्गू
धर्म क्या है? इसकी बहुत ही सरल और साफ परिभाषा दी है महर्षि व्यास ने। उन्होंने कहा है

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कि धारयति इति धर्म:। जो धारण कर लिया, वही धर्म है। पाश्चात्य दर्शन में भी इससे सरल परिभाषा धर्म की नहीं है। आजकल सनातन धर्म को लेकर बहुत जोरों पर चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए ही बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री पर हमले किए जा रहे हैं।

दूसरे धर्मों के बारे में क्यों नहीं सवाल उठाए जा रहे हैं। धीरेंद्र शास्त्री अच्छा कर रहे हैं या बुरा, इस पर मैं कुछ नहीं कहना चाहता हूं। हां, सनातन धर्म को लेकर जरूर कुछ कहना चाहता हूं। सनातन धर्म का मूलाधार षड्दर्शन है। इस षड्दर्शन में आते हैं सांख्य, न्याय, योग, वैशेषिक, मीमांसा और वेदांत। सनातन धर्म में चमत्कार की कहीं कोई चर्चा नहीं है। इन छहों दर्शनों में ज्यादातर तर्क, प्रमेय, परीक्षण और पदार्थ आदि को लेकर विचार-विमर्श किए जाते रहे हैं।

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हां, मीमांसा दर्शन में कर्मकांड, पुरोहितवाद आदि पर जोर दिया गया है, लेकिन चमत्कार यहां भी नदारद है। सनातन धर्म में किसी भी चमत्कार से परहेज किया गया है। सनातन धर्म दुनिया के प्राचीन धर्मों में एक है। दुनिया के शायद ही किसी धर्म में चमत्कार जैसी बातों को मान्यता मिली हो, लेकिन कालांतर में कुछ चतुर बुुद्धिजीवियों और शासकों ने अपना हित साधने के लिए इन बातों को मान्यता प्रदान की। इसका बढ़ाचढ़ाकर प्रचार प्रसार किया। अब तो हर धर्म में इस तरह के कार्यकलाप किए जाने लगे हैं, मानो धर्म का यही मूल आधार हो। ईसाई अपने चंगाई सभा के माध्यम से चमत्कार दिखा रहे हैं, मुसलमानों में पीर-फकीर ताबीज, दुआ और दूसरे तरह के कार्यों से लोगों को चमत्कृत कर रहे हैं। हमारे देश में भी कई तरह के संत-महात्मा, बाबा-ओझा लोगों के दुख दूर कर रहे हैं। ये सब धर्म का हिस्सा नहीं है।

अगर सनातन धर्म में चमत्कार को मान्यता मिली होती, तो भगवान राम सीताहरण पर एक साधारण मानव की तरह रोते-बिलखते उनको न खोज रहे होते। त्रिकालदर्शी भगवान राम वानर, रीक्ष, जटायू जैसों की मदद क्यों लेते। वे अपना चमत्कार दिखाते और रावण का सिर लंका में ही कटकर गिर गया होता। उन्हें इतना अथक प्रयास ही नहीं करना पड़ता। जिस भगवान की मर्जी से ही संपूर्ण ब्रह्मांड का संचालन हो रहा हो, वह भगवान एक आदर्श क्यों प्रस्तुत करते कि सीता की खोज में वन-वन भटक रहे हैं, लोगों को सीता की खोज में योजना बनाकर भेज रहे हैं।

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राम के जीवन का उद्देश्य चमत्कार दिखाना नहीं, बल्कि सनातन धर्मके अनुरूप एक आदर्श प्रस्तुत करना था। यह बात हमारे धर्म के सभी अवतारों पर लागू होती है। चाहे वह श्रीकृष्ण हो, परशुराम हों या अन्य अवतार। सबने पृथ्वी पर जन्म लिया और सनातन धर्म के अनुरूप अपना आचरण बनाए रखा। कोई सनातन धर्म को क्या नुकसान पहुंचा पाएगा जो अपने आपमें इतना उदार, लचीला और सतत प्रवाहमान है। हजारों साल से विभिन्न संस्कृतियों, सभ्यताओं के लोग आते रहे और सनातन धर्म में समाहित होते रहे। तब भी उसका बाल बांका नहीं हुआ। फिर अब कोई सनातन धर्म का क्या बिगाड़ लेगा?

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