पंजाब सरकार का अड़ियल रवैया
दिल्ली स्थित श्रम शक्ति भवन में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी मसले का निपटारा संभव नहीं हो सका। लेकिन, पंजाब के अड़ियल रवैये को देखते हुए हरियाणा सरकार ने दो टूक लहजे में साफ कर दिया है
Created By : ashok on :06-01-2023 14:57:59 संजय मग्गू खबर सुनें
संजय मग्गू
एसवाईएल मसले को लेकर पंजाब सरकार ने एक बार फिर जिद पर अड़े रहने का रवैया अख्तियार कर लिया है। वे हरियाणा की बात समझने को तैयार नहीं हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा बार-बार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देने के बावजूद पंजाब सरकार मनमानी पर आमादा है। पंजाब सिर्फ अपना हित देख रहा है, उसे हरियाणा की जनता की परेशानियों से कुछ लेना देना नहीं है। ऐसा प्रतीत हो रहा है।
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दिल्ली स्थित श्रम शक्ति भवन में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी मसले का निपटारा संभव नहीं हो सका। लेकिन, पंजाब के अड़ियल रवैये को देखते हुए हरियाणा सरकार ने दो टूक लहजे में साफ कर दिया है कि एसवाईएल पर हरियाणा का हक है
, यह उसे मिलना ही चाहिए और इस मसले पर हम हरगिज नहीं झुकेंगे, हमारी लड़ाई जारी रहेगी। पूरी उम्मीद थी कि इस बार दोनों राज्यों के बीच बैठक निर्णायक साबित होगी, एक सद्भावपूर्ण सहमति बन जाएगी और मसले का हल निकल आएगा। लेकिन, अफसोस है कि ऐसा नहीं हो सका। बैठक की असफलता के लिए सिर्फ और सिर्फ पंजाब सरकार की हठधर्मिता जिम्मेदार है। कोई मसला कितना भी विवादित क्यों न हो, अगर संबंधित पक्षों में इच्छा शक्ति है,
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तो निपटारे में खास दिक्कत पेश नहीं आती। लेकिन, अगर कोई पक्ष यह तय कर ले कि विवाद को बरकरार रखना है, तो फिर सुलह की राह कठिन हो जाती है। पंजाब के मुख्यमंत्री ऐसा ही कर रहे हैं। एसवाईएल मसला इतना भी जटिल नहीं है कि सुलझ न सके। कोशिश करने पर बड़े से बड़े मसलों का निपटारा हो जाता है। बशर्ते, बातचीत के दौरान संबंधित पक्षों का रवैया सकारात्मक बना रहे।
किसी भी मसले के एक-दो बिंदुओं पर तो असहमति की गुंजाइश हो सकती है, लेकिन ऐसी तमाम असहमतियों की आड़ लेकर पूरे मसले को ही दरकिनार कर देना किसी भी नजरिये से समझदारी नहीं है। पानी प्रकृति का अनमोल उपहार है, जिस पर सभी का अधिकार है। जब प्रकृति अपना प्यार लुटाते समय किसी के साथ भेदभाव नहींकरती, तो मानव को भला क्या अधिकार है कि वह किसी को उसके हिस्से से वंचित रखे।