असहमति को सकारात्मक लें
ऐसा कभी नहीं हो सकता है कि आपके विचारों, कार्यों और अन्य बातों से हर आदमी सहमत ही हो। यह भी संभव है कि आपके किसी विचार को आपके परिवार के कुछ लोग ही पसंद न करें।
Created By : ashok on :12-01-2023 15:03:33 अशोक मिश्र खबर सुनेंबोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
ऐसा कभी नहीं हो सकता है कि आपके विचारों, कार्यों और अन्य बातों से हर आदमी सहमत ही हो। यह भी संभव है कि आपके किसी विचार को आपके परिवार के कुछ लोग ही पसंद न करें। सहमति और असहमति दोनों को ही समान भाव से लेने वाले लोगों को पसंद किया जाता है। असहमति हमें अपने कार्य, व्यवहार या विचार में सुधार लाने का जरिया बन सकता है। हमें असहमति को हमेशा सकारात्मक रूप से ग्रहण करना चाहिए। मान लीजिए कि हमारे सभी कार्यों या विचारों से हमारे जितने भी परिचित लोग हैं, वे सहमति ही जताएं तो कैसा लगेगा?
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हर बात और हर कार्य में सहमति का मतलब यह है कि वे हमारा विकास होता नहीं देखना चाहते हैं। या फिर वे आपसे इतना डरते हैं कि वे असहमति जताकर अपने लिए मुसीबत मोल नहीं लेना चाहते हैं। ऐसा सिर्फ तानाशाही प्रवृत्ति के लोगों के साथ ही हो सकता है। हमें हमेशा यह बात याद रखना चाहिए कि द्वंद्व हर जगह मौजूद है। दिन है, तो रात भी है। प्रकाश है, तो अंधकार भी है। दिन का महत्व इसलिए है क्योंकि रात और अंधकार है। दोनों एक दूसरे के सापेक्ष हैं। जब तक किसी वस्तु, व्यक्ति या विचार के सापेक्ष दूसरी वस्तु, व्यक्ति या विचार न हो, तो पहली वस्तु, व्यक्ति या विचार का कोई महत्व नहीं होता है।
एक का महत्व तभी तक है, जब तक शून्य या दो का अस्तित्व है। आजकल जब कोई किसी बात पर असहमति व्यक्त करता है, तो हमें लगता है कि उस व्यक्ति ने हमारे पूरे अस्तित्व पर हमला किया है। हम यह सोचने लगते हैं कि उसकी इतनी हिम्मत कि हमारे काम, विचार या कृति का विरोध करे। बस हम असमहति को सकारात्मकता से लेने के बजाय जुट जाते हैं उसका विरोध करने में। हम यह नहीं सोचते हैं कि हम अपने में सुधार करें और अच्छा करने की कोशिश करें।