अहंकारी का ज्ञान किसी काम का नहीं

इसके बाद भी कुछ लोग अपने को सर्वज्ञ होने का दावा करते हुए दिख ही जाते हैं। थोड़ा सा भी ज्ञान होने पर वे अपने मन में एक ग्रंथि पाल लेते हैं कि वह सब कुछ जानते हैं।

Created By : ashok on :01-11-2022 15:20:43 अशोक मिश्र खबर सुनें

अशोक मिश्र
प्रकृति अबूछ है। इसे बूझा नहीं जा सकता है। हमारा मस्तिष्क जितने ज्ञान को ग्रहण कर सकता है, वह पूरे ज्ञान का पांच-सात प्रतिशत हिस्सा ही होता है। बाकी सब कुछ अबूझा रह जाता है। प्रकृति का विस्तार कितना है, यह भी आज तक मनुष्य पता नहीं कर पाया। जब हम प्रकृति को मापने में असमर्थ रहे, तो हमने उसे अनंत कहकर एक सीमा में बांधने का प्रयास किया है।

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इसके बाद भी कुछ लोग अपने को सर्वज्ञ होने का दावा करते हुए दिख ही जाते हैं। थोड़ा सा भी ज्ञान होने पर वे अपने मन में एक ग्रंथि पाल लेते हैं कि वह सब कुछ जानते हैं। जब वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया है कि हमारा मस्तिष्क बहुत ज्यादा जानकारियों को संग्रहीत करके रख पाने में सक्षम नहीं है, तो फिर व्यक्ति कितना भी कुशाग्र बुद्धि का न हो, वह सारा ज्ञान कैसे हासिल कर सकता है। कोई गणित का विशेषज्ञ हो सकता है, लेकिन गणित के बारे में सारा कुछ जानता है, यह कह पाना कठिन है। यही हाल अन्य विषयों का है। इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने ज्ञान को लेकर अहंकार न पालें।

अहंकार कभी-कभी हंसी का पात्र बना देता है। कहते हैं कि प्रकृति में कोई भी पूर्ण नहीं है। कुछ न कुछ कमी सबमें है। यहां तक कि प्रकृति खुद भी पूर्ण नहीं है। वह दिनोंदिन विस्तार पाती जा रही है। ऐसे में हमें अपने ज्ञान को बढ़ाने का प्रयास जरूर करना चाहिए, लेकिन घमंड नहीं करना चाहिए। हमारे सनातन धर्म में ज्ञानी को विनयी होने को कहा गया है। विनय हो, तो व्यक्ति का ज्ञान समाज के हित में काम आता है। अहंकारी व्यक्ति का ज्ञान समाज तो क्या, खुद उसके काम भी नहीं आता है। यही वजह है कि हमारे संतों ने कहा है कि अहंकार और लोभ ज्ञान को किसी काम का नहीं छोड़ते हैं।

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