Reliance नहीं... इस बार TCS ने मार ली बाजी, 5 दिन में निवेशकों ने छाप डाले ₹36,000 Cr

TCS ने पांच दिनों में दिया तगड़ा रिटर्न, जबकि Reliance निवेशकों को हुआ झटका

Desh Rojana
On

बीते सप्ताह शेयर बाजार में TCS चमकी और महज पांच दिनों में निवेशकों की दौलत में ₹36,000 करोड़ का इजाफा कर दिया। वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के शेयर दबाव में रहे, जिससे निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा। मार्केट ट्रेंड दिखा रहा है कि इस बार निवेशकों का भरोसा पारंपरिक कंपनियों से हटकर आईटी और टेक सेक्टर की ओर ज्यादा बढ़ा है।

बीते सप्ताह Tata Consultancy Services (TCS) के शेयरों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला, जिससे TCS निवेशकों ने महज पांच कारोबारी दिनों में करीब ₹36,000 करोड़ की कमाई कर डाली। इस दौरान पारंपरिक मुनाफाबाज़ कंपनियों में से एक Reliance Industries (RIL) का जोर कमजोर रहा यानी इस बार बाज़ी Reliance के नहीं, TCS के हाथ लगी है। 
लेख का सार — क्या हुआ है?
पिछले सप्ताह शेयर बाजार में सेंसेक्स-टॉप-10 कंपनियों की मार्केट वैल्यू में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया।

6922cbede48f7-stock-market-114613351-16x9
इस दौरान RIL का मार्केट कैप गिरा जिसके कारण RIL निवेशकों को नुक़सान हुआ। 
दूसरी ओर, TCS निवेशकों को फायदा पहुंचाने में सबसे आगे रही। TCS का मार्केट कैप तेजी से बढ़ा और निवेशकों को लगभग ₹36,000 करोड़ का फायदा हुआ। इसके अलावा, अन्य कंपनियों जैसे Infosys, Bajaj Finance, और Bharti Airtel ने भी निवेशकों को रिटर्न दिया। 
क्या कारण है इस बदलाव का?
आमतौर पर RIL निवेशकों के लिए मुनाफे का भरोसेमंद विकल्प रहा है  लेकिन इस बार बाजार के उतार-चढ़ाव और शेयर विश्लेषकों की राय के आधार पर निवेशक TCS जैसे आईटी सेक्टर में शिफ्ट हुए। TCS के बेहतर रुझान, टेक-सेक्टर में बढ़ती मांग, और उसकी मुनाफाखोरी की संभावनाओं ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया जिससे शेयर की कीमतों में उछाल आया। दूसरी ओर, RIL के शेयरों पर किसी तरह का भार या नकारात्मक भावना रही हो सकती है (उदाहरण के लिए, तेल-गैस या अन्य कारोबारी कारकों की वजह से), जिससे मार्केट वैल्यू घट गई। असर निवेशकों और बाजार पर जिन निवेशकों ने TCS में निवेश किया था उनके लिए यह सप्ताह फायदे का रहा। वहीं RIL निवेशकों को नुकसान झेलना पड़ा जो पहले “सेफ-हैवेन” समझी जाने वाली कंपनी थी। इस घटना से स्पष्ट होता है कि अब निवेशक “पारंपरिक इंडस्ट्री” (जैसे रिटेल, तेल-गैस) की बजाय “आईटी और टेक्नोलॉजी” कंपनियों की ओर ज्यादा झुकाव दिखा रहे हैं।
यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो आने वाले समय में बड़े पैमाने पर पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन देखने को मिल सकता है यानी निवेशक सिर्फ एक-दो कंपनियों पर निर्भर नहीं रहेंगे।
इस बार, बाजार की चाल ने ये दिखा दिया कि निवेशकों का भरोसा बदल रहा है पारंपरिक “मजबूत” कंपनियों पर नहीं, बल्कि तेज गति से बढ़ने वाली टेक्नोलॉजी कंपनियों पर। TCS की इस तेजी ने साबित कर दिया कि अब सिर्फ “ब्रांड नाम” ही नहीं, “सेक्टर ट्रेंड + भविष्य की संभावना” मायने रखती है।

संबंधित समाचार