बिहार ने रचा मतदान का नया इतिहास : पहले चरण में टूटा अब तक का हर रिकॉर्ड

वर्ष 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य के मतदाताओं ने ऐसा इतिहास रचा, जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है। पहले चरण के मतदान में बिहार ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ते हुए 64.64 प्रतिशत मतदान दर्ज किया।

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बिहार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि लोकतंत्र की असली ताकत जनता के हाथों में होती है। वर्ष 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य के मतदाताओं ने ऐसा इतिहास रचा, जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है। पहले चरण के मतदान में बिहार ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ते हुए 64.64 प्रतिशत मतदान दर्ज किया। यह न सिर्फ़ अब तक का सबसे ऊँचा मतदान प्रतिशत है, बल्कि इस बार बिहार ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को भी पीछे छोड़ दिया है। जिस तरह का उत्साह आम मतदाताओं, ख़ासकर युवाओं और महिलाओं में देखने को मिला, उसने इस चुनाव को बिहार के लोकतांत्रिक इतिहास का एक यादगार अध्याय बना दिया है।

बिहार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि लोकतंत्र की असली ताकत जनता के हाथों में होती है। वर्ष 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य के मतदाताओं ने ऐसा इतिहास रचा, जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है। पहले चरण के मतदान में बिहार ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ते हुए 64.64 प्रतिशत मतदान दर्ज किया। यह न सिर्फ़ अब तक का सबसे ऊँचा मतदान प्रतिशत है, बल्कि इस बार बिहार ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को भी पीछे छोड़ दिया है। जिस तरह का उत्साह आम मतदाताओं, ख़ासकर युवाओं और महिलाओं में देखने को मिला, उसने इस चुनाव को बिहार के लोकतांत्रिक इतिहास का एक यादगार अध्याय बना दिया है।

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पहले चरण में कुल 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ। इस चरण में 1,314 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में बंद हो गया है। चुनाव आयोग के मुताबिक, मतदान पूरी तरह शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित रहा। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लंबी-लंबी कतारें देखने को मिलीं। गाँवों में लोगों ने बड़ी संख्या में बाहर निकलकर वोट डाला, जबकि कुछ शहरी इलाकों में अपेक्षाकृत मतदान थोड़ा कम रहा। इस बार सबसे अधिक मतदान बेगूसराय जिले में हुआ, जहाँ 68.20 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वहीं, सबसे कम मतदान शेखपुरा जिले में दर्ज हुआ, जहाँ केवल 52.36 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला। बिहार में इससे पहले कभी भी मतदान का प्रतिशत इतना दर्ज नहीं किया गया था। 1951 के लोकसभा चुनाव में बिहार में 40.35 फीसदी तो उसी वर्ष विधानसभा चुनाव में 42.6 फीसदी मतदान हुआ था | और 1998 के लोकसभा चुनाव में 64.6 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में 62.57 प्रतिशत मतदान हुआ था। पर इस बार का चुनाव सिर्फ मतदान के आकड़ो के विशेष नहीं है बल्कि इस बार का चुनाव कई मायनों में विशेष है। एक तरफ़ राज्य में सत्ता परिवर्तन की संभावनाएँ चर्चा में हैं, तो दूसरी ओर युवाओं की राजनीति में बढ़ती दिलचस्पी भी एक नया संकेत दे रही है। चुनाव से पहले ही सोशल मीडिया पर "मेरा वोट, मेरा अधिकार" और "बदलाव का समय" जैसे अभियान चलाए गए, जिनका असर मतदान केंद्रों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। बड़ी संख्या में पहली बार वोट देने वाले युवाओं ने लोकतंत्र में अपनी भागीदारी दर्ज कराई। वहीं महिला मतदाताओं ने भी इस बार पिछली बार की तुलना में ज़्यादा संख्या में वोट डाले, जिससे कई केंद्रों पर महिलाओं की मतदान दर पुरुषों से अधिक रही।
चुनाव आयोग ने इस बार सुरक्षा और पारदर्शिता पर विशेष ध्यान दिया। राज्य पुलिस के साथ केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की व्यापक तैनाती की गई। कई जिलों में ड्रोन से निगरानी रखी गई और हर मतदान केंद्र पर वेब-कैमरों से लाइव रिकॉर्डिंग की व्यवस्था की गई। कुछ जगहों पर ईवीएम में तकनीकी खराबियाँ आईं, लेकिन चुनाव अधिकारियों ने तुरंत उन्हें ठीक कर लिया। आयोग ने मतदान कर्मियों और सुरक्षाकर्मियों के मेहनत की सराहना करते हुए कहा कि पहले चरण की सफलता ने आने वाले चरणों के लिए प्रशासन का आत्मविश्वास बढ़ाया है। Bihar-Historic-Voter-Turnout-1200x750
राजनीतिक दृष्टि से भी यह चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लंबे शासनकाल के बाद इस बार बिहार की राजनीति में नए गठबंधन और चेहरे मैदान में हैं। जनता के बीच परिवर्तन की लहर और नई उम्मीदों का माहौल साफ़ झलक रहा है। इतनी बड़ी संख्या में मतदान यह संकेत देता है कि जनता इस बार बदलाव चाहती है और अपने मताधिकार का प्रयोग सोच-समझकर कर रही है।
पहले चरण की वोटिंग के बाद अब पूरे बिहार के साथ-साथ देश की नज़रें दूसरे चरण के मतदान और नतीजों पर टिकी हैं। सभी दल अपने-अपने स्तर पर मतदाताओं को साधने में लगे हैं, जबकि मतदाता अब अपने निर्णय का इंतज़ार कर रहे हैं कि उनका वोट किस दिशा में बदलाव लाएगा।
बिहार के इस ऐतिहासिक मतदान ने यह संदेश पूरे देश को दिया है कि जब जनता एकजुट होकर लोकतंत्र में भाग लेती है, तो बदलाव निश्चित होता है। यह सिर्फ़ एक चुनाव नहीं, बल्कि बिहार की जागरूकता, उसकी उम्मीदों और उसके लोकतांत्रिक विश्वास का प्रतीक है। इस बार बिहार ने न सिर्फ़ अपने राज्य का, बल्कि पूरे देश का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया है, यह साबित करते हुए कि “लोकतंत्र की असली ताकत जनता के वोट में ही बसती है।” 

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